विरोध का का अनोखा तरीका अपनाने वाली महिलाओं की कोशिश रंग लाई है. पिंक चड्ढी अभियान के जरिए प्रमोद मुतालिक और उनकी श्रीराम सेना का विरोघ करने की मुहिम रंग लाई. ख़बर है कि देश भर की महिलाओं और पुरुषों की तरफ से मिल रही चड्ढियों आजिज आकर और अगले एक-दो दिन में मिलने वाली चड्ढियों की मार से बचने के लिए प्रमोद मुतालिक ने अपने ऑफिस का पता बदल दिया है। अब वो अपने पुराने पते वाले कार्यालय को बंद कर रहे हैं. पर अभियान की सदस्य निशा सूज़न के मुताबिक लोग अपनी चड्ढियां उनके ब्लॉग पर दिए गए पतों, फोन नंबरो और चड्ढी कलेक्शन सेंटर पर जमा कर सकते हैं. यहां से उनके विरोध की प्रतीक चड्ढियां प्रमोद मुतालिक को भेज दी जाएंगी. विरोध के इस गांधीवादी तरीके ने छोटी ही सही पर पहली कामयाबी तो हासिल कर ही ली है. और मुतालिक का डर ये साबित कर रहा है कि उन्हें भी कहीं न कहीं इस बात का अहसास हो गया है कि वो बहुमत की नुमाइंदगी नहीं करते हैं.
पिंक चड्ढी अभियान और महिलाओं की पहली जीत
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अभी समर शेष है !
मैंने आज निशा सूसन, और सारे तहलका स्टाफ के लिये 100 कंडोम भेजे हैं, क्या इस पावती को अपने ब्लाग पर दिखा देंगे?
लो भाई, जो छिछोरापन आपने शुरु किया उसके जवाब में कुछ लोग ये भी लेकर आ गये हैं… http://thepinkcondomcampaign.blogspot.com/
अब यदि आपका घटिया प्रचाराना हथकण्डा सही था तो इसका क्या जवाब देंगे? मेरे एक पाठक ने पूछा है कि जिन लड़कों के मोबाइल नम्बर पिंक चड्डी कलेक्शन सेंटर के तौर पर दिये है, क्या उन्होंने अपनी माँ-बहन की चड्डियाँ माँगकर भिजवाई हैं या वे सिर्फ़ बाहर की औरतों पर नज़र रखते हैं …
भइया जी……………..न्यूटन को याद करने का यही तो सही समय है….जिन्होंने कहा तो था की क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया दुगुने वेग से होते है…..हा..हा..हा..हा..!!
भई भेजना ही है तो पुरुषों वाले अन्तःवस्त्र, कच्छे वगैरह भेजो
मुताल्लिक़ जी के कुछ काम तो आये
वैसे लड़कियों को पीट कर उन्होंने पुरुषत्व का परिचय तो नहीं ही दिया है
पिंगबैक: Hindi Blogosphere’s Reactions to the Pink Chaddi Campaign Show the Divide Between Bharat and India | Gauravonomics Blog
अच्छा लिखा. शानदार. कायम रखें.